नहीं चाहे वो अपने चरणों पर फ़ूल, गहने या देवी का स्थान, बस माँगती है अपना इंसान होने का मान। नहीं चाहे वो अपने चरणों पर फ़ूल, गहने या देवी का स्थान, बस माँगती है अपना इ...
पन्ने दर पन्ने खुलकर उड़ रहे थे.. शब्द मेरी कविता के जैसे मंत्रमुग्ध हो रहे थे.. पन्ने दर पन्ने खुलकर उड़ रहे थे.. शब्द मेरी कविता के जैसे मंत्रमुग्ध हो रहे ...
मौन उचित समय का एक सही अंदाज हैं मुस्कान चाहत कि एक शुरुआत हैं ! मौन और मुस्कान समायोचीत रखे.. मौन उचित समय का एक सही अंदाज हैं मुस्कान चाहत कि एक शुरुआत हैं ! मौन और मुस्कान...
गलियों से नदारद कहीं भी चैन ए दीदार न मिला। गलियों से नदारद कहीं भी चैन ए दीदार न मिला।
ये सिलसिला है चलते रहने का चलता ही रहेगा इसे सहजता से ग्रहण करना ये सिलसिला है चलते रहने का चलता ही रहेगा इसे सहजता से ग्रहण करना
अन्यथा बनती संग्रहालय का हिस्सा। अन्यथा बनती संग्रहालय का हिस्सा।